हाय मोला मया लागे अउ रतिया तँय पूस के

हाय मोला मया लागे

हाय ओ …हाय मोला मया लागे ओ….
मिरगी कस रेंगना मोला मया लागे ओ..

हाय रे…हाय मोला मया लागे रे…
झुलुप वाले बइहा मोला मया लागे रे…

हिरदे मोर तँय हा,कहाँ ले समाए ओ।
बइहा बनाई डारे,जादू तँय चलाए ओ।।
रद्दा बताए मोला,दया लागे ओ…..
हाय ओ…हाय मोला…….

ए रे कजरारे बलम ,मन मोर भाए तँय।
पान खवाके मोला,कइसे भरमाए तँय।।
पिरीत लगाए मोला,नया लागे रे…
हाय रे….हाय मोला …………

गाँव के चिरईया तहीं,मन ला लगाए तँय।
मैना कस बोली मा,तन ला जलाए तँय।।
कनिहा हलाए नचकिया लागे ओ..
हाय रे….हाय मोला……


रतिया तँय पूस के

रतिया तँय “पूस” के मरवाई डारे।।
जाड़ा के महिना तँय जड़वाई डारे।

रहे नइ जाय मोला बिना गोरसी के,
कइसे बितही ए दुख हा भुलाई डारे।
रतिया तँय “पूस” के……..

दाँत किनकिनावय पानी करा होगे,
हाड़ा मोर ठिठुरय कँपकपाई डारे।
रतिया तँय “पूस” के………..

लईका मन पैरा मा हे घोलान्दी मारे,
कुकुर हा किकयावय करलाई डारे।
रतिया तँय “पूस”के………..

गरमे गरम चाहा ला बबा हा बनाथे,
बइठ पी के जीभ ला जराई डारे।
रतिया तँय “पूस”के……….

बोधन राम निषाद राज
सहसपुर लोहारा, कबीरधाम (छ.ग.)
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